Saturday, September 9, 2017

कांग्रेस का बयानवीर

आज कांग्रेस के महासचिव और दस साल तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह उर्फ़ दिग्गीराजा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सोशल मीडिया पर अपशब्दों का प्रयोग किया है | यह कोई पहली बार नहीं किया है इससे पहले भी दिग्विजय सिंह कई बार विवादित बयान दे चुके है | वो पाकिस्तान के कुख्यात आतंकवादी हाफिज सईद को “साहब ” बोल चुके है, मुंबई के  दिवंगत पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे के हवाले से यह कह चुके है की उनको चरमपंथी हिन्दू आतंकवादियो से खतरा है , बटाला एनकाउंटर को फर्जी करार दे चुके है और अपनी पार्टी की ही महिला नेता को “टंच माल” बोल चुके है |
कांग्रेस के नेताओ के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर यह कोई पहला हमला नहीं है इससे पहले कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने कहा था की नरेंद्र मोदी मौत के सौदागर है , वो जहर की खेती करते है| यही नहीं कांग्रेस की उपाध्यक्ष  राहुल गाँधी ने भी सर्जिकल स्ट्राइक के बाद खून का  दलाल भी बता डाला था था |
 यह और कुछ नहीं बस कांग्रेस का राजनैतिक दिवालियापन है | देश के हर भाग में चुनाव हारने के कारण कांग्रेस के नेताओ में आपस में एक तरह की प्रतिस्पर्धा जैसी है कि कौन नेता अपने बयानों से नरेंद्र मोदी पर कितना हमला कर सकता है |

दिग्विजय सिंह अपने बयानों के आलावा अपने कार्यो से भी देश को कई बार शर्मिंदा कर चुके है| उनकी पहली पत्नी के जिन्दा रहते ही उनका अफेयर राज्यसभा टीवी की पत्रकार अमृता राय के साथ चल रहा था और जब उनसे इस बारे में पत्रकारों ने पूछा तो पहले तो उन्होंने उक्त रिपोर्टर से कोई सम्बन्ध होना स्वीकार नहीं किया लेकिन शाम को जब आम्रता ने अपनी फेसबुक वाल पर दिग्विजय और अपनी एक तस्वीर साझा की जिसमे दिग्विजय अम्रता के साथ आपत्तिजनक मुद्रा में थे तो उन्होंने फिर अपने रिश्ते को स्वीकार कर लिया |
 मई २०१४ के बाद से जब से देश में नरेन्द्र मोदी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी है और उसके बाद उन्होंने जिस प्रकार अपने आप को एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित किया है, कांग्रेस के नेतृत्व को यह प्रतीत हो रहा है कि मोदी की पार्टी ने देश की सत्ता पर अपनी जड़ें गहरी जमा लि है और देश की जनता भी उनको एक सर्वमान्य नेता के तौर पर स्वीकार कर चुकी है |
कांग्रेस का यही डर एक वजह है जिसके कारण इनके नेता एक के बाद एक हमले कर रहे है | ऐसा इसलिए भी हो रहा है क्योंकि बीजेपी को हिन्दुओं की पार्टी माना जाता है और इस बार के आम चुनावो ने जिस तरह यह साफ कर दिया कि हिन्दू अपने हितो की रक्षा करने वाले दल को ही वोट करेगा, कांग्रेस जिसका मिशन ही है की फूट डालो और राज करो आज के इस परिवेश में अपने को एक दरकिनार की हुयी पार्टी समझ रही है |

लेकिन आज के समय में जब देश का जायदातर वोटर युवा है और विभिन्न माध्यमो से सोशल मिडिया से जुड़ा

हुआ है , देश में कब क्या हो रहा है इसकी पल-पल की जानकारी उसके पास है ऐसे में अगर दिग्विजय जैसे नेता जब एक मेहनती प्रधानमंत्री पर हमले करते है तो वो किसी भी तरह से ना तो अपने वोट बैंक को बदा रहे है और ना ही अपने परम्परागत वोट बैंक को ही सुरक्षित रख पा रहे है | इस तरह के हमलो पर प्रधानमंत्री द्वारा जवाब न दिया जाना ना सिर्फ उनके बड़े कद को दिखाता है बल्कि देश की जनता यह भी समझ रही है कि देश का वास्तव में भला कौन चाहता है यह लोग जो मीडिया में उलटे सीधे बयानबाजी करने वाले लोग या फिर बिना थके देश की सेवा करने वाले देश के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी| 

Murder of anti BJP reporter

आज गौरी लंकेश नाम की एक महिला पत्रकार की हत्या कर दी गयी | ये बहुत अफ़सोसजनक है और किसी की भी इस तरह से हत्या नहीं होनी चाहिए | लेकिन गौरी लंकेश की हत्या ने देश में एक बार फिर से “हिन्दू आतंकवाद ” पर बहस छेंड दी है, कहा जा रहा है की गौरी लंकेश की हत्या “कट्टर हिंदूवादी संगठनों” ने की है |
गौरी लंकेश एक वामपंथी विचारधारा की पत्रकार थी और हिंदुत्व के बारे में उनके विचार बहुत अच्छे नहीं थे | लेकिन क्या मात्र इतनी सी बात से हिन्दू संगठन उनकी हत्या कर देंगे ?? यह एक बड़ा सवाल है क्योंकि देश में ऐसे बहुत सारे लोग है जो की हिन्दू धर्म और हिंदुत्व से इतनी नफरत करते है कि ये लोग अगर किसी अन्य मुस्लिम देश में होते तो जरुर इनकी हत्या कर दी जाती | देश में जाकिर नाइक, मौलाना बरकती , इमाम बुखारी , हुर्रियत कांफ्रेस , फारुख अब्दुल्ला , राना आयूब और ऐसे ही ना जाने कितने ही लोग है जो दिनरात सिर्फ हिंदुत्व विचारधारा का विरोध करके ही अपनी राजनितिक रोटियां सेंकते रहते है | अगर हिन्दू इतना ही असहिष्णु है तो फिर इन लोगो को तो कब का मार चूका होता, या फिर अगर नरेंद्र मोदी सरकार ऐसे लोगो की आवाज बंद करना चाहती तो उसके पास तमाम ऐसे रस्ते होते हैं जिससे कि ऐसे लोगो की आवाज को खामोश किया जा सकता था |
उदहारण के तौर पर हम चीन की सरकार को ही देख सकते है | चीन की मिडिया से वही जानकारियां बाहर निकलती है जो वहां की सरकार बाहर निकलने देना चाहती है|

इस देश की राजनीती की यह विडंबना ही है कि यहाँ जब भी किसी वामपंथी या कांग्रेसी विचारधारा के व्यक्ति की हत्या होती है या हिन्दुधर्म के अलावा किसी और धर्म के व्यक्ति की हत्या होती है तो उसको भगवा आतंकवाद के तौर पर परिभाषित किया जाता है और कहा जाता है कि देश में “
अल्पसंख्यक ” समुदाय को खतरा है |
देश के तथाकथित युवानेता और कांग्रेस के युवराज सीधेतौर पर देश की हर छोटी बड़ी घटना के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जिम्मेदार ठहरा देते है भले ही जिस राज्य में ये घटना घटी है वहां पर कांग्रेस की ही सरकार हो |
यही नहीं कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने इन्तोलेरेंस का मुद्दा फिर से उठा दिया और कहा की हमारी सरकार के समय में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है लेकिन २०१४ में मोदी सरकार के गठन के साथ ही देश में एक वर्ग विशेष के लिए मुश्किलें खड़ी की जा रही है और स्वतंत्र आवाजों को दबाया जा रहा है |
इन सभी लोगो को देश में बढ़ रहे हिन्दू आतंकवाद का खतरा तो दिखाई दे रहा है लेकिन पूरे विश्व में पनप रहे मुस्लिम आतंकवाद का धर्म पता नहीं चल पा रहा है | ये वही लोग है जो बिहार में पत्रकार राजदेव रंजन के हत्यारोपी शहाबुद्दीन के साथ मंच साझा करते है लालू यादव को सेकुलरिज्म का झंडाबरदार बताते है और एक वामपंथी विचारधारा की पत्रकार की हत्या का इल्जाम सीधे सीधे बीजेपी और संघ पर लगा देते है लेकिन तब इनके कान और आंख बंद हो जाती है जब कश्मीर के नेता फारुख अब्दुल्ला यह कहते है कि पाक अधिकृत कश्मीर क्या हिंदुस्तान के बाप का है| ये वही लोग है जो याकूब मेनन की फांसी की सजा को रुकवाने के लिए रात के २ बजे देश की सबसे बड़ी अदालत को खुलवा देते है और भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह का नारा लगाने वाले लोगो की दिन रात पैरवी करते है |
अब समय आ गया है की देश के लोग नेताओ की दोगली राजनीती को पहचाने और चुनाव के समय इनको ऐसा सबक सिखाये की फिर से किसी देश के टुकड़े करने वाले या फिर देश की संप्रभुता को चुनौती देने वाले के साथ खड़े होने की हिम्मत ना कर सके |